सर्दियों में जब कोहरे और ठंड की वजह से हमारी एक्टिविटी कम हो जाती हैं, तब इस कपकपाते मौसम में गर्माहट लाता है लोहड़ी का त्योहार। घर, सोसायटी और बाजारों की शाम, बोन फायर से जगमगा उठती है, जब अग्नि देवता की पूजा करते हुए लोग अर्घ्य देते हैं। कितना कमाल का त्योहार है न। ढोल-नगाड़े पर जमकर नाचना, मूंगफली, गजक, पॉपकॉर्न और खासकर ये बोन फायर, जो आसमान से बरसते कोहरे में भी, हमें जमकर मौज-मस्ती करने का मौका देती है। आज, पूरे भारत में, लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है। आइए, सूर्य और अग्नि देवता को समर्पित, इस त्योहार से जुड़ी कुछ रोचक कहानियों के साथ आगे बढ़ते हैं। जब भी लोहड़ी के त्यौहार की बात आती है, तो इसे सिर्फ पंजाब से जोड़ा जाता है। लेकिन वास्तव में, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के साथ-साथ पूरे भारत में, इस त्योहार के खास पकवान, नाच-गाने और बोनफायर की एनर्जी, देखी जा सकती है। लोहड़ी का त्यौहार पंजाब के रॉबिनहुड दुल्ला भट्टी को भी श्रद्धांजलि है, जो पंजाबी लड़कियों को गुलामों के बाजार में, बिकने से बचाया था।
इस त्योहार पर सबसे ज्यादा गाया जाने वाला “दुल्ला भट्टी '' गीत, इस नायक की पूरी कहानी बयां करता है कि कैसे उन्होंने सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से छुड़ाकर, उनकी शादी कुछ अच्छे लड़कों से करा दी थी। पंजाब में यह त्योहार, दुल्ला भट्टी के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करता है, जिसने मुगलों के शासन में उनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाई। जाहिर है आज के दिन, या हफ्ते पहले से ही, आपके घर की दहलीज पर बच्चे, लोहड़ी के गीत गाते होंगे। वापिस लौटाना, हमारी धार्मिक आदत है, इसलिए इन्हें खाली हाथ लौटाना अशुभ माना जाता है। मूंगफली, पॉपकॉर्न और चंद सिक्कों से खिलखिलाते बच्चों के चेहरे, इस त्योहार का अहम हिस्सा हैं। वास्तव में, यह त्योहार, सर्दियों के अंत और वसंत के आने का प्रतीक है। 'विंटर सोलस्टाइस' के बारे में शायद आपने भी सुना होगा, यह, लोहड़ी के त्योहार से जुड़ा है। जिसका मतलब है आज के दिन, साल का सबसे छोटा दिन होता है। शीतकालीन संक्रांति के अंतिम दिन को लोहड़ी मनाई जाती है और माना जाता है कि इस दिन साल की सबसे लंबी रात होती है और लोहड़ी के अगली सुबह, दिन की रोशनी बढ़ जाती है। क्योंकि सूर्य अपना मार्ग बदलकर, पृथ्वी पर ज्यादा एनर्जी और गर्मी लाता है।
इसके अलावा यह भी माना जाता है कि लोहड़ी का नाम संत कबीर की पत्नी लोई के नाम पर रखा गया है। जबकि अन्य लोगों का मानना है कि लोहड़ी शब्द लोह से आया है, जिसका मतलब है- प्रकाश और आग की गर्माहट। जैसा कि तिल और गुड़ की रोढ़ी, इस त्योहार का अहम हिस्सा है, इसलिए कुछ लोग मानते हैं कि तिल और रोढ़ी शब्द तिलोढ़ी में विलय हो गया, जिसे बाद में लोहड़ी कहा जाने लगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि, कुछ कथाओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि होलिका और लोहड़ी बहनें थीं। होलिका, होली की आग में जल गई थी, लेकिन दूसरी प्रह्लाद के साथ बच गई, जिनकी अब पूजा की जाती है। लोहड़ी के अगले दिन से नया फाइनांशियल साल शुरू होता है और यह सर्दियों के अंत के बाद नई फसल की बुआई की भी प्रतीक है। बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर, वीर जारा मूवी में 'लो आई लोहड़ी वे' गीत से लेकर, गुड न्यूज़ मूवी में लाल घाघरा साँग- लोहड़ी के त्योहार की शानदार शाम के जश्न की अच्छी तस्वीर होने के साथ-साथ, इस साल लोहड़ी की डीजे नाइट में आपके थिरकने के लिए बेहतरीन गानों में से एक हैं। पहली जनवरी को, हम सब, नए साल, नए सपनों और उम्मीदों का स्वागत कर चुके हैं। अब लोहड़ी का यह त्योहार, पुराने और गलत विचारों को छोड़ने और नए विचारों और अच्छे लोगों का वेलकम करने का दिन है। आज आप, अपने-अपने परिवार और मोहल्ले वालों के साथ लोहड़ी मनाएंगे, तो आइए इस पवित्र बोन फायर के आगे, तमाम नफरत, गुस्से और ईर्ष्या को भुलाकर, अपनों को गले लगाएं। द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी उम्मीद करता है कि इस बोन फायर, की एनर्जी हमेशा आपकी जिंदगी को रोशन करे। फसल के इस त्योहार में, हम अपने किसान भाइयों की भलाई और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। प्रशासन से आशा करते हैं कि वो, फूड प्रोवाइड करवाने वाले इन किसानों की समस्याओं को अहमियत दे, क्योंकि जय जवान-जय किसान'' स्लोगन की सच्चाई को हम, नजरअंदाज नहीं कर सकते। Happy Lohri!